ताज महल को संरक्षित किया जाए, नहीं तो इसे बंद
ताज महल की बद से बदतर हो ती हालत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को आख़िरकार इतना कड़ा रुख अपनाना पड़ा था. और, 17वीं सदी की इस बेशक़ीमती धरोहर को बचाने के लिए अदालत ने मामले की नियमित सुनवाई शुरू कर दी की है. तो सवाल उठता है कि क्या दुनिया की अज़ीम-ओ-शान इमारत ख़तरे में है? क्या ये ख़तरा बढ़ता ही जा रहा है? क्या एक दिन ऐसा भी आ सकता है कि ताज महल गिर जाएगा या ज़मींदोज़ हो जाएगा? ये सवाल खड़ा हो रहा है ताज महल और उसके आस-पास बढ़ रहे वायु और जल प्रदूषण की वजह से. हालात कुछ यूं हो गए हैं कि ताज महल में लगा संग-ए-मरमर बदरंग हो रहा है. हालाँकि इसके निर्माण में बादशाह शाहजहाँ ने राजस्थान के सबसे महंगे संग-ए-मरमर का इस्तेमाल किया था जिसे मकराना से लाया गया था. इस संग-ए-मरमर की ख़ासियत यह है ये सुबह के वक़्त गुलाबी नज़र आता है, दोपह र के वक़्त सफ़ेद और शाम ढलते ही एकदम दूधिया. मगर बढ़ते प्रदूषण ने सब कुछ बदलकर रख दिया है, इमारत की रौनक़ फीकी पड़ती जा रही है. इसकी नींव कमज़ोर होती जा रही है और शाहजहाँ के वक़्त से ही बसा हुआ ताजगंज का इलाक़ा भी अब ख़तरे में आ गया है. ताज महल मे...